58. When you are no longer a King
Bahadur Shah Zafar was the last Mughal emperor and a renowned poet in the Urdu language.
Only a king who is no longer a king can write these lines.
इन हसरतों से कह दो, कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहां है दिले-दाग़दार में
उम्र-दराज मांग के लाये थे चार दिन
दो आरजू में कट गये, दो इन्तज़ार में
दिन ज़िन्दगी के ख़त्म हुए, शाम हो गयी
फैला के पांव सोयेंगे कुंजे-मज़ार में
है इतना बदनसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज जमीन भी न मिली कूए-यार में
- बहादुरशाह ज़फ़र